बज़्म-ए-तरब वक़्त-ए-ऐश साक़ी ओ नक़्ल ओ शराब कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब मजमा-ए-ख़ूबाँ वले ज़मज़मा-ए-चंग वले कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब सेहन-ए-चमन हुस्न-ए-गुल अब्र-ओ-हवा शर्ब-ए-मुल कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब इशरत-ए-सुब्ह-ए-बहार सैर-ए-गुल-ओ-लाला-ज़ार कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब रक़्स-ए-बुत-ए-ग़ुंचा-लब कसरत-ए-ऐश-ओ-तरब कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब इश्क़ के इज्ज़-ओ-नियाज़ हुस्न के अंदाज़-ओ-नाज़ कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब मस्ती-ए-मय-ख़ाना-हा गर्दिश-ए-पैमाना-हा कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब शादी-ए-वस्ल-ए-बुताँ सोहबत-ए-मह-तलअताँ कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब ग़लग़ल-ए-कोस-नशात ख़ुश-दिली ओ इम्बिसात कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब सर्वत-ए-माल-ओ-मनाल हशमत-ओ-जाह-ओ-जलाल कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब क़स्र-ओ-महल दिल-पज़ीर ज़ीनत-ओ-ज़ेब ऐ 'नज़ीर' कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब