हर-क़दम पर शौक़-ए-मंज़िल की फ़रावानी तो है राह-ए-दुश्वार-ए-मोहब्बत में ये आसानी तो है बे-शक इस जीने से मर जाने में आसानी तो है लेकिन ऐ दिल मर्ज़ी-ए-क़ातिल की क़ुर्बानी तो है सच है शेवन से मिरे उन को परेशानी तो है लेकिन आख़िर दर्द-ए-उज़्र-ए-नाला-सामानी तो है कामयाबी हो न हो बैठा न रह तदबीर कर मुद्दआ' बस में नहीं है सई-ए-इम्कानी तो है आज ये तस्कीन काफ़ी है कि कल रोज़-ए-जज़ा रूएदाद-ए-ज़ीस्त कह कर दाद-ए-ग़म पानी तो है हाँ यहाँ ये है कि मक़सूद-ओ-तमन्ना साथ हैं वर्ना ये जन्नत हमारी जानी-पहचानी तो है एक ज़र्फ़-ए-दिल है उस में दो की गुंजाइश कहाँ दूर ऐ जमईयत-ए-ख़ातिर परेशानी तो है हाँ बुरे को भी न ईज़ा दे कि उस की ज़ात में ख़ू-ए-इंसानी नहीं है रूह-ए-हैवानी तो है रहनुमाई अक़्ल से चाही शुरू-ए-इश्क़ में अफ़्व कर ऐ बे-ख़ुदी ये मेरी नादानी तो है देखिए बाज़ार-ए-महशर में ये किन दामों बिके जिंस-ए-ग़म की ख़ैर से दुनिया में अर्ज़ानी तो है और निकलेगी कोई तदबीर पैराहन-दरी हों जो शल हैं हाथ शौक़-ए-चाक-दामानी तो है आइने में इक़्तिदार-ए-हुस्न की सूरत कहाँ आइना रख दे इधर आ मेरी हैरानी तो है उन को क्या टूटे किसी का दिल कि रुस्वा हो कोई ख़ुश रहें यूसुफ़ कि साबित पाक-दामानी तो है किस ग़रज़ से फिर गवारा कीजिए तकलीफ़-ए-ज़ब्त राज़ रख कर भी मोहब्बत की सज़ा पानी तो है अहल-ए-दिल से ये जहाँ ख़ाली भी रहता है कहीं 'उर्फ़ी'-ओ-'ग़ालिब' नहीं 'फ़ानी' नहीं 'मानी' तो है