मौत बर-हक़ है तो फिर मौत से डरना कैसा By Sher << वो मोड़ जिस ने हमें अजनबी... हुई थी ख़्वाब में ख़ुशबू ... >> मौत बर-हक़ है तो फिर मौत से डरना कैसा एक हिजरत ही तो है नक़्ल-ए-मकानी ही तो है Share on: