उमीद

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वो सुब्ह कभी तो आएगी
उन काली सदियों के सर से जब रात का आँचल ढलकेगा

जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख सागर छलकेगा
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नग़्मे गाएगी [...]

8

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ऐ परिंदो किसी शाम उड़ते हुए
रास्ते में अगर वो नज़र आए तो

गीत बारिश का कोई सुनाना उसे
ऐ सितारो यूँही झिलमिलाते हुए [...]

36

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ऐ परिंदे तू है अपनी आग में जलता हुआ
दूर से लेकिन धुआँ उठता नज़र आता नहीं

ऐसा लगता है कि हैं शोले फ़ज़ा में हर तरफ़
आसमाँ नीला मगर धुँदला नज़र आता नहीं [...]

29

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ख़्वाब जैसी कहीं कहीं शायद
ज़िंदगी है मगर नहीं शायद

मैं अकेला हूँ और लगता है
जैसे तू है अभी यहीं शायद [...]

27

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किसी दिन तुम्हें याद करते हुए मैं
चला जाऊँगा इस जहाँ के किनारे

मोहब्बत भरे आसमाँ के किनारे
परिंदे मिरे साथ जाएँगे शायद [...]

14

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सुना है मैं ने कि अब सितारे
तुम्हारी दहलीज़ से गुज़र कर

बिखरने लगते हैं आसमाँ पर
अज़ल से आबाद इस जहाँ पर [...]

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