Post your shayari

Post

पान फ़रोश एडिटर

Shayari By

तहरीक में बर्तानिया के ख़िलाफ़ मज़ामीन लिखने की पादाश में गिरफ़्तार हुए और एक साल ‎क़ैद-ए-बा-मुशक़्क़त की सज़ा पाई। उसके बाद “ज़मींदार” के बहुत से एडिटर गिरफ़्तार हुए। होम ‎मेंबर सर जॉन मीनार्ड जेल के मुआइने के लिए तशरीफ़ लाए तो सालिक साहब से पूछा कि ‎‎“ज़मींदार” का असल एडिटर कौन है?” सालिक साहब ने जवाब दिया, “कम अज़ कम मैं तो ‎असली हूँ।” सर जॉन मीनार्ड ने हंसकर कहा ये तो हम जानते हैं लेकिन आजकल जिसका ‎नाम “ज़मींदार” में एडिटर के तौर पर लिखा जा रहा है वो तो कोई पान फ़रोश है। सालिक ‎साहब ने जवाब दिया कि “जब असल एडिटरों को इस तेज़ी से गिरफ़्तार करते जाएंगे तो ‎किसी पान फ़रोश को ही आगे बढ़ाना पड़ेगा।”‎
‎ ‎


पान फ़रोश एडिटर

Shayari By

तहरीक में बर्तानिया के ख़िलाफ़ मज़ामीन लिखने की पादाश में गिरफ़्तार हुए और एक साल ‎क़ैद-ए-बा-मुशक़्क़त की सज़ा पाई। उसके बाद “ज़मींदार” के बहुत से एडिटर गिरफ़्तार हुए। होम ‎मेंबर सर जॉन मीनार्ड जेल के मुआइने के लिए तशरीफ़ लाए तो सालिक साहब से पूछा कि ‎‎“ज़मींदार” का असल एडिटर कौन है?” सालिक साहब ने जवाब दिया, “कम अज़ कम मैं तो ‎असली हूँ।” सर जॉन मीनार्ड ने हंसकर कहा ये तो हम जानते हैं लेकिन आजकल जिसका ‎नाम “ज़मींदार” में एडिटर के तौर पर लिखा जा रहा है वो तो कोई पान फ़रोश है। सालिक ‎साहब ने जवाब दिया कि “जब असल एडिटरों को इस तेज़ी से गिरफ़्तार करते जाएंगे तो ‎किसी पान फ़रोश को ही आगे बढ़ाना पड़ेगा।”‎
‎ ‎


कश्मकश

Shayari By

सालिक साहब और मौलाना ताजवर, दोनों के दरमियान कशीदगी रहती थी। एक मर्तबा ‎सालिक के एक दोस्त ने कहा कि आपके दरमियान ये “कश्मकश” ठीक नहीं, सुलह हो जानी ‎चाहिए। सालिक बोले,
‎“हुज़ूर, हमारी तरफ़ से तो “कश” है “मकश” तो ताजवर साहब करते हैं। आपकी नसीहत तो ‎उनको होनी चाहिए।”


कश्मकश

Shayari By

सालिक साहब और मौलाना ताजवर, दोनों के दरमियान कशीदगी रहती थी। एक मर्तबा ‎सालिक के एक दोस्त ने कहा कि आपके दरमियान ये “कश्मकश” ठीक नहीं, सुलह हो जानी ‎चाहिए। सालिक बोले,
‎“हुज़ूर, हमारी तरफ़ से तो “कश” है “मकश” तो ताजवर साहब करते हैं। आपकी नसीहत तो ‎उनको होनी चाहिए।”


एक आँख का वायसराय

Shayari By

मौलाना अब्दुल मजीद सालिक हश्शाश-ओ-बश्शाश रहने के आ’दी थे और जब तक दफ़्तर में ‎रहते, दफ़्तर क़हक़हा-ज़ार रहता। उनकी तहरीरों में भी उनकी तबीयत की तरह शगुफ़्तगी ‎होती थी। जब लार्ड वेवल हिंदुस्तान के वायसराय मुक़र्रर हुए तो सालिक ने अनोखे ढंग से ‎बताया कि वो एक आँख से महरूम हैं। चुनांचे मौलाना सालिक ने इन्क़िलाब के मज़ाहिया ‎कॉलम “अफ़कार-ओ-हवादिस” में लिखा,
‎“लार्ड वेवल के वायसराय मुक़र्रर होने का ये वा’दा है कि वो सबको एक आँख से देखेंगे।”‎


एक आँख का वायसराय

Shayari By

मौलाना अब्दुल मजीद सालिक हश्शाश-ओ-बश्शाश रहने के आ’दी थे और जब तक दफ़्तर में ‎रहते, दफ़्तर क़हक़हा-ज़ार रहता। उनकी तहरीरों में भी उनकी तबीयत की तरह शगुफ़्तगी ‎होती थी। जब लार्ड वेवल हिंदुस्तान के वायसराय मुक़र्रर हुए तो सालिक ने अनोखे ढंग से ‎बताया कि वो एक आँख से महरूम हैं। चुनांचे मौलाना सालिक ने इन्क़िलाब के मज़ाहिया ‎कॉलम “अफ़कार-ओ-हवादिस” में लिखा,
‎“लार्ड वेवल के वायसराय मुक़र्रर होने का ये वा’दा है कि वो सबको एक आँख से देखेंगे।”‎


">

Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close