आँखों में इक तबस्सुम-ए-पिन्हाँ का अक्स है चेहरे पे एक जल्वा-ए-रक़्साँ का अक्स है चश्म-ए-ग़ज़ाल नर्गिस-ए-फ़त्ताँ का अक्स है फूलों की साख़्त उस लब-ए-ख़ंदाँ का अक्स है ज़ुल्फ़ों में तीरगी है अमावस की रात की गालों पे जैसे सुब्ह-ए-बहाराँ का अक्स है वो चेहरा जिस से ख़ूबी-ए-नक़्क़ाश है अयाँ वो चेहरा जिस पे सूरा-ए-रहमाँ का अक्स है अबरू को तान रक्खा है शमशीर की तरह मिज़्गाँ हैं या कि ख़ंजर-ए-उर्यां का अक्स है तर्शे हुए गुलाब से याक़ूत-रंग लब चाह-ए-ज़क़न है या मह-ए-ताबाँ का अक्स है दंदाँ की रौशनी है सितारों से मुस्तआ'र या फिर नुजूम में तिरे दंदाँ का अक्स है क़ामत मिली है सर्व को उस सर्व-क़द के बाद पेचे का पेच काकुल-ए-पेचाँ का अक्स है आवेज़ा-हा-ए-गोश में तारे जड़े हुए आँचल में सद हज़ार चराग़ाँ का अक्स है मौसूम है क़याम-ए-क़यामत से तेरी चाल महशर तुझ ऐसे फ़ित्ना-बदामाँ का अक्स है मुश्क-ए-ख़ुतन सा महका हुआ मरमरीं बदन पोशाक है कि महर-ए-दरख़्शाँ का अक्स है वो देखते हैं हम को कन-अँखियों से बज़्म में चेहरे पे इक ख़याल-ए-परेशाँ का अक्स है ये काएनात आईना-ख़ाना यूँ ही नहीं शश-सम्त तेरे हुस्न-ए-फ़रावाँ का अक्स है शफ़्फ़ाफ़ आसमाँ पे ब-वक़्त-ए-तुलूअ'-ए-शम्स उस मह-जबीं के नूर-ए-नुमायाँ का अक्स है इस को मुबालग़ा न कहें आप तो है अर्ज़ बाग़-ए-बहिश्त कूचा-ए-जानाँ का अक्स है