आता है कौन दर्द के मारों के शहर में रहते हैं लोग चाँद सितारों के शहर में मिलता तो है ख़ुशी की हक़ीक़त का कुछ सुराग़ लेकिन नज़र-फ़रेब इशारों के शहर में उन अँखड़ियों को देख के होता है ये गुमाँ हम आ बसे हैं बादा-गुसारों के शहर में ऐ दिल तिरे ख़ुलूस के सदक़े! ज़रा सा होश दुश्मन भी बे-शुमार हैं यारों के शहर में देखें 'अदम' नसीब में है क्या लिखा हुआ दिल बेचने चले हैं निगारों के शहर में