ऐ दिल पछान तन को तेरा है सिरा यही मावा यही मआ'द यही मुल्तजा यही पहचान ले तू जीने तक इस तन की माहियत मक़्सद यही मुराद यही मुद्दआ' यही नाबूज अपने तन को हुए हैं बहुत ख़राब ग़फ़लत यही हिजाब यही और 'अमा यही कामिल हैं मा'रिफ़त में वो कहते हैं तन की बात मब्दा यही मआ'द यही मुंतहा यही है ताजिरान-ए-तालिक़-ए-मा'नी को बे-गुमाँ दरिया यही जहाज़ यही नाख़ुदा यही जो तालिबान-ए-नक़्द-ए-हक़ीक़त हैं उन के तईं पार्स यही तज्जार यही कीमिया यही जामा' है तन तिरा ये मजाज़-ए-हक़ीक़ है पानी यही सराब यही और हवा यही इस तन को हक़ समझ के तू मशग़ूल रह मुदाम रोज़ा यही नमाज़ यही और दुआ यही कहता है 'मीर' पीर के इरशाद सूँ न आप अल्लाह यही रसूल यही रहनुमा यही