अपनी पलकों से ख़्वाब थाम मिरा तेरी आँखों में हो क़ियाम मिरा हिज्र में ख़ुद-कुशी करेगी वो ख़ुद से ख़ुद लेगी इंतिक़ाम मिरा गोरकन हूँ मैं अपने गाँव का काफ़ी हिम्मत-तलब है काम मिरा कल कहानी ने ख़ुद ही पूछ लिया कब करोगे तुम इख़्तिताम मिरा हज़रत-ए-'मीर' का मुक़ल्लिद हूँ तुझ पे वाजिब है एहतिराम मिरा तेरा 'हसनी' नहीं रहा हूँ मैं अब ‘हसीब-उल-हसन’ है नाम मिरा