बदले अंदाज़ तुम्हारे नहीं अच्छे लगते ग़ैर को छुप के इशारे नहीं अच्छे लगते जो भी कहना है खुले दिल से सर-ए-आम कहो आँखों आँखों में इशारे नहीं अच्छे लगते कुछ अमल करके दिखाओ तो कोई बात बने आए दिन खोखले नारे नहीं अच्छे लगते हम को तूफ़ाँ से उलझने में मज़ा आता है और ख़ामोश किनारे नहीं अच्छे लगते हाल-ए-मज़लूम पे अफ़्सोस के इज़हार के बाद उन के ज़ालिम को इशारे नहीं अच्छे लगते जो अँधेरों में पला और बढ़ा हो 'अतहर' उस को ये चाँद सितारे नहीं अच्छे लगते