बहुत न हौसला-ए-इज़्ज़-ओ-जाह मुझ से हुआ फ़क़त फ़राज़-ए-नगीन-ओ-निगाह मुझ से हुआ चराग़-ए-शब ने मुझे अपने ख़्वाब में देखा सितारा-ए-सहरी ख़ुश-निगाह मुझ से हुआ गिरफ़्त-ए-कूज़ा से इक ख़ाक मेरी सम्त बढ़ी सफ़-ए-सराब कोई सद्द-ए-राह मुझ से हुआ शब-ए-फ़साना-ओ-फर्संग उस से मिल आया जो मावरा-ए-सफ़ेद-ओ-सियाह मुझ से हुआ सर-ए-गुरेज़-ओ-गुमाँ उस ने इम्तिहान लिया जो हम-कनार मिरा कम-निगाह मुझ से हुआ कमान-ए-ख़ाना-ए-अफ़्लाक के मुक़ाबिल भी मैं उस से और वो फिर कज-कुलाह मुझ से हुआ जो सैल-ए-हिजरत-ए-गुल था मिरे क़दम से रुका कमंद लम्हा-ए-सद-इश्तिबाह मुझ से हुआ नियाम-ज़द न हुई मुझ से तेग़-ए-हैरानी शिकस्त-ए-आइना-ए-इंतिबाह मुझ से हुआ