छोड़ कर मुझ को चली ऐ बेवफ़ा मैं भी तो हूँ ले ख़बर मेरी भी ऐ तेग़-ए-अदा मैं भी तो हूँ पी रहे हैं सब पियाली पर पियाली बज़्म में मेरी बारी भी तो आए साक़िया मैं भी तो हूँ ज़िक्र जब हूर-ओ-परी का सामने उन के हुआ पहले तो सुनते रहे वो फिर कहा मैं भी तो हूँ दुख़्त-ए-रज़ ज़ाहिद से बोली मुझ से घबराते हो क्यूँ क्या तुम्हीं हो पाक-दामन पारसा मैं भी तो हूँ ख़ास ज़ाहिद के लिए जन्नत तो हो सकती नहीं आख़िर इक बंदा 'शरफ़' अल्लाह का मैं भी तो हूँ