दर्द ऐसा कि दवा हो जैसे आज कुछ हद से सिवा हो जैसे तुंदी-ए-बाद-ए-हवादिस तौबा आप की कोई अदा हो जैसे फिर वही शख़्स मिरे पर्दे में इन दिनों नग़्मा-सरा हो जैसे इक दिया कोई जला जाता है दिल मज़ार शोहदा हो जैसे कोई लौटा न सलामत अब तक वो गली कोह-ए-निदा हो जैसे कूच का वक़्त है जागो 'जाबिर' हर-नफ़स बाँग-ए-दरा हो जैसे