दरिया का चढ़ाव देखता हूँ तिनकों का बहाव देखता हूँ तुम देखो बुलंदी आसमाँ की मैं उस का झुकाव देखता हूँ कल पेश-ए-नज़र थी तेग़-ए-अबरू अब सीने का घाव देखता हूँ वो आएँ न आएँ कौन जाने आई हुई नाव देखता हूँ सनता हूँ कराह लकड़ियों की जलते हैं अलाव देखता हूँ आसान नहीं है दिल की चोरी तुम आँख चुराओ देखता हूँ मंजधार में होगी कोई कश्ती साहिल पे जमाव देखता हूँ तुम आग में मेरी जल रही हो मैं दूर से ताओ देखता हूँ अपने को 'जमील' बेचना है बाज़ार का भाव देखता हूँ