दिल इश्क़ का मारा था कॉलेज के ज़माने में हर ज़ख़्म गवारा था कॉलेज के ज़माने में अब सिर्फ़ अंधेरी शब और साथ है तन्हाई इक चाँद हमारा था कॉलेज के ज़माने में है आज भी यादों के गुम्बद में सदा तेरी क्यों तू ने पुकारा था कॉलेज के ज़माने में अहबाब की महफ़िल में हम बाँट दिया करते ग़म जैसे छुआरा था कॉलेज के ज़माने में बैठे हैं जहाँ आँसू इस आँख के साहिल पर ख़्वाबों को उतारा था कॉलेज के ज़माने में उस के ही तो सदक़े में हर जीत मिली हम को जो मा'रका हारा था कॉलेज के ज़माने में बोसीदा किताबें सब उस फूल से महकी हैं बख़्शा जो तुम्हारा था कॉलेज के ज़माने में ख़ामोश जज़ीरा तो सदमों से बना हूँ मैं पुर-शोर किनारा था कॉलेज के ज़माने में लिख देते 'नबील' अपने शे'र उस की किताबों पर यूँ फ़न को निखारा था कॉलेज के ज़माने में