इक हसीं दिलकश मोहब्बत हम ने की यूँ मुकम्मल इक इबादत हम ने की ऐन से है क़ाफ़ तक का जो सफ़र इस सफ़र में तय मसाफ़त हम ने की क्यों न सपने में तिरा हम नाम लें रात-दिन इस की रियाज़त हम ने की बेवफ़ा कह कर हमें वो चल दिया कब अमानत में ख़यानत हम ने की इश्क़ के आग़ाज़ में कुछ यूँ हुआ मुक़तदी वो थे इमामत हम ने की वो क़यामत हम क़यामत मिल गए यूँ क़यामत पर क़यामत हम ने की