फिर वो बरसात ध्यान में आई By Ghazal << ज़मीं के बा'द हम अब आ... ख़ुद फ़रिश्ते तो नहीं हैं... >> फिर वो बरसात ध्यान में आई तब कहीं जान जान में आई फूल पानी में गिर पड़े सारे अच्छी जुम्बिश चटान में आई रौशनी का अता-पता लेने शब-ए-तीरा जहान में आई रक़्स-ए-सय्यार्गां की मंज़िल भी सफ़र-ए-ख़ाक-दान में आई Share on: