ग़म के मारों का है सहारा चाँद कितना अच्छा है कितना प्यारा चाँद ज़र्द चेहरा है चाँदनी फीकी कहीं फ़ुर्क़त का हो न मारा चाँद तू हर इक का है और किसी का नहीं लोग कहते रहें हमारा चाँद हम जहाँ जाएँ जिस तरफ़ जाएँ साथ रहता है ये दिल-आरा चाँद बढ़ गई और दिल की बेताबी जाने क्या कर गया इशारा चाँद हम तिरे पास ख़ुद चले आए तेरी दूरी नहीं गवारा चाँद रात-भर साथ था मगर 'नादिर' सुब्ह-दम कर गया किनारा चाँद