हर एक पल से ख़बर-दार रहना चाहती हूँ नसीब तुझ से मैं हुशियार रहना चाहती हूँ दिखे उदास जो उस को मिरा पता देना उदासियों से वफ़ादार रहना चाहती हूँ तुझे न चाह के भी इतना चाहती हूँ मैं तिरे दुखों की गुनहगार रहना चाहती हूँ कभी जो बिछ्ड़ें न देखूँ तुझे ज़रा मुड़ कर मैं इश्क़ में भी समझदार रहना चाहती हूँ तू मुब्तला था कहीं और सो ये कह न सकी मिरे सनम मैं तिरा प्यार रहना चाहती हूँ तू हर किसी की मोहब्बत है जानती हूँ मगर मैं तेरे इश्क़ का मेआ'र रहना चाहती हूँ