हर एक पल से ख़बर-दार रहना चाहती हूँ

हर एक पल से ख़बर-दार रहना चाहती हूँ
नसीब तुझ से मैं हुशियार रहना चाहती हूँ

दिखे उदास जो उस को मिरा पता देना
उदासियों से वफ़ादार रहना चाहती हूँ

तुझे न चाह के भी इतना चाहती हूँ मैं
तिरे दुखों की गुनहगार रहना चाहती हूँ

कभी जो बिछ्ड़ें न देखूँ तुझे ज़रा मुड़ कर
मैं इश्क़ में भी समझदार रहना चाहती हूँ

तू मुब्तला था कहीं और सो ये कह न सकी
मिरे सनम मैं तिरा प्यार रहना चाहती हूँ

तू हर किसी की मोहब्बत है जानती हूँ मगर
मैं तेरे इश्क़ का मेआ'र रहना चाहती हूँ


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