हो जाते हैं जब आप भी हैरान देख कर

By anwar-shadaniOctober 25, 2020
हो जाते हैं जब आप भी हैरान देख कर
हँसता हूँ अपना चाक गरेबान देख कर
फूलों का रंग-ओ-रूप निखरता चला गया
नाज़ुक लबों पे आप के मुस्कान देख कर


इक बेवफ़ा का प्यार मुझे याद आ गया
दौर-ए-ख़िज़ाँ में बाग़ को वीरान देख कर
चलते हैं जब वो नाज़ से कहती है यूँ बहार
ऐ दिलरुबा सँभल के मिरी जान देख कर


अहल-ए-वफ़ा को अपनी वफ़ाओं पे नाज़ है
जौर-ओ-सितम पे उन को पशेमान देख कर
कुछ तो ख़ुदा के वास्ते बतलाओ क्या हुआ
बेचैन हूँ मैं तुम को परेशान देख कर


अनवर जनाब-ए-शैख़ की निय्यत बदल गई
बाज़ार में शराब की दूकान देख कर
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