हुई मैं कैसे नज़र का शिकार क्या मालूम मिलेगा कब मिरे दिल को क़रार क्या मालूम किसी की याद में दिन तो गुज़र गया लेकिन कटेगी कैसे शब-ए-इंतिज़ार क्या मालूम मैं सच कहूँगी मगर जानती हूँ दुनिया में करेगा कौन मिरा ए'तिबार क्या मालूम क़फ़स में क़ैद हैं जो लोग उन्हें ख़बर ही नहीं ख़िज़ाँ है या है चमन में बहार क्या मालूम मिरे क़रीब से उठ कर तुम्हारे जाते ही बिखर गए हैं क्यों हस्ती के तार क्या मालूम तिरी तलाश में गुज़री है ज़िंदगी या-रब बिसात-ए-गर्दिश-ए-लैल-ओ-नहार क्या मालूम तमाम रात सताता है इक ख़याल 'जमाल' करेगा कौन सितारे शुमार क्या मालूम