हम आसमान की सूरत थे पर ज़मीन रहे तुम्हारे पाँव पे रक्खी हुई जबीन रहे दुआ रहेगी हम ऐसे ख़िज़ाँ-रसीदों की ख़ुदा करे कि तू सरसब्ज़ और हसीन रहे हमारे दिल से निकलते हुओं को सात सलाम वो इस लिए कि वो इस हब्स में मकीन रहे हमारे ख़्वाब जो देखे थे हम ने तेरे लिए वो ख़्वाब ख़्वाब नहीं थे हमारा दीन रहे मैं अपने सर की क़सम दे के उस से कहता था कि मैं रहूँ न रहूँ पर मिरा यक़ीन रहे