इक झलक तेरी जो पाई होगी By Ghazal << हज़ारों साल चलने कि सज़ा ... आँखों में तूफ़ान बहुत है >> इक झलक तेरी जो पाई होगी चाँद ने ईद मनाई होगी सुब्ह दम उस को रुला आया हूँ सारा दिन ख़ुद से लड़ाई होगी उस ने दरिया को लगा कर ठोकर प्यास की उम्र बढ़ाई होगी केस जुगनू पे चलेगा 'अंजुम' बस्ती औरों ने जलाई होगी Share on: