इश्क़ में क्या खोया क्या पाया मैं भी सोचूँ तू भी सोच क्या ये तसव्वुर ज़ह्न में आया मैं भी सोचूँ तू भी सोच हर चेहरे पर चेहरा हो तो कैसे हम पहचानेंगे कौन है अपना कौन पराया मैं भी सोचूँ तू भी सोच क़ब्र में जा कर मिट्टी में मिल जाने वाली मिट्टी को यारों ने फिर क्यों नहलाया मैं भी सोचूँ तू भी सोच तू भी क़ातिल मैं भी क़ातिल मक़्तल हम दोनों के दिल किस ने किस का ख़ून बहाया मैं भी सोचूँ तू भी सोच फूल खिलाता था जो कल तक आज वो काँटे बोता है फ़र्क़ ये इस में कैसे आया मैं भी सोचूँ तू भी सोच दुनिया भी इक सरमाया है उक़्बा भी इक सरमाया कौन सा अच्छा है सरमाया मैं भी सोचूँ तू भी सोच जब तक सूरज सर पे नहीं था साथ 'मयंक' ये चलता था पाँव तले अब क्यों है साया मैं भी सोचूँ तू भी सोच