जहाँ में जिंस-ए-वफ़ा कम है कल-अदम तो नहीं हमारे हौसला-ए-दिल को ये भी कम तो नहीं हम एक साँस में पी जाएँ जाम-ए-जम तो नहीं सरिश्क-ए-ग़म हैं पिएँगे पर एक दम तो नहीं तुम्हारे क़हर की ख़ातिर अकेले हम तो नहीं निगाह-ए-मेहर भी डालो तुम्हें क़सम तो नहीं ख़ुदा का घर है मिरा दिल यहाँ सनम तो नहीं ये मय-कदा तो नहीं है ये कुछ हरम तो नहीं मिरे ग़मों का तुझे क्या लगेगा अंदाज़ा कि तुझ को अपने ही ग़म हैं पराए ग़म तो नहीं मिरे ख़याल में पेचीदगी सही लेकिन तुम्हारी ज़ुल्फ़ों की मानिंद पेच-ओ-ख़म तो नहीं जुनूँ नहीं हमें पीछे लगें जो दुनिया के ख़ुदा के बंदे हैं हम बंदा-ए-शिकम तो नहीं हज़ार कैफ़ बहिश्त-ए-बरीँ में हैं लेकिन दिल अपना जिस का है ख़ूगर वो कैफ़-ए-ग़म तो नहीं लगेगी देर सँभलने में लग़्ज़िश-ए-दिल से सँभल खड़े हों नज़र लग़्ज़िश-ए-क़दम तो नहीं