ज़िंदगी जिस का नाम है यारो क़िस्सा-ए-ना-तमाम है यारो आदमी को दवाम हो कि न हो आदमियत दवाम है यारो खिलते जाते हैं फूल राहों में कौन महव-ए-ख़िराम है यारो ज़िंदगी का कोई मक़ाम नहीं ज़िंदगी ख़ुद मक़ाम है यारो एक वक़्ती सुरूर-ए-बुलहवसी इश्क़ कैफ़-ए-दवाम है यारो कार-ए-यज़्दाँ जिसे समझते हो वो तुम्हारा ही काम है यारो मगर दुनिया ब-मसलहत भी ग़लत दीन इसी का तो नाम है यारो ज़िंदगी मेरा साथ दे कि न दे मौत मुझ पर हराम है यारो अज़्म मज़बूत हौसले मोहकम वक़्त किस शय का नाम है यारो फ़िक्र-ए-'अंजुम' को शाइ'री न कहो एक ग़ैबी पयाम है यारो