काग़ज़ के बने फूल जो गुल-दान में रखना तितली की उदासी को भी इम्कान में रखना मैं इश्क़ हूँ और मेरा नहीं कोई ठिकाना ऐ हुस्न मुझे दीदा-ए-हैरान में रखना शायद मैं किसी और ज़माने में भी आऊँ मुमकिन तो नहीं है मगर इम्कान में रखना अब मरकज़ी किरदार तुम्हारा है मिरे दोस्त तुम मेरी कहानी को ज़रा ध्यान में रखना ये राह-ए-मोहब्बत तो फ़क़त बंद गली है आसान से रस्ते को भी सामान में रखना