कसरत-ए-ग़म से परेशान हूँ दिल शाद नहीं दाम-ए-उल्फ़त में गिरफ़्तार हूँ आज़ाद नहीं पूछते मुझ से हो क्या मेरी मुसीबत ऐ ख़िज़्र राह-ए-गुम-गश्ता हूँ मंज़िल का पता याद नहीं का'बा-ओ-दैर-ओ-कलीसा में है जल्वा उस का कौन सा घर है जो इस नूर से आबाद नहीं दिल-ए-बे-ताब हो राज़ी-ब-रज़ा-ए-महबूब शेवा-ए-अहल-ए-वफ़ा नाला-ओ-फ़रियाद नहीं दाद बेदाद तग़ाफ़ुल सर-ए-महशर तौबा ये तो मंज़ूर हमें ऐ सितम-ईजाद नहीं बिजलियाँ और भी कौदीं सर-ए-महशर दिल पर हम असीरान-ए-मोहब्बत कहीं आज़ाद नहीं यूँ सर-ए-हश्र 'समर' को न गिरा नज़रों से चार ही दिन में तुझे अहद-ए-वफ़ा याद नहीं