कुछ मिरा हाल बता दे मुझ को मेरे अशआ'र सुना दे मुझ को ख़्वाब आने को हैं बेताब कई आ मिरी नींद सुला दे मुझ को मैं तिरे चाक पे रक्खा हूँ अभी तू बना दे या मिटा दे मुझ को भूल जाऊँ न मैं चेहरा अपना मेरी तस्वीर दिखा दे मुझ को मैं हक़ीक़त का परस्तार रहूँ इतनी तौफ़ीक़ ख़ुदा दे मुझ को अपनी आँखों में बसा कर ऐ दोस्त मेरी नज़रों से छुपा दे मुझ को अब तो हर शख़्स बुरा लगता है मुझ से इक बार मिला दे मुझ को