लगाने लगती है दुनिया अजीब अजीब क़यास तभी तो ओढ़ा हुआ है उदासियों का लिबास हज़ार बार ही उचटा है मेरा दिल उस से हज़ार बार ही ये दुनिया मुझ को आई रास ज़मीं पे रात बिछी है इधर शिकस्ता उमीद फ़लक पे चाँद उगा है उधर उदास उदास बढ़ी हुई है 'सबा' आज उस की याद की लौ चमक उठी है मिरे दिल में फिर बुझी हुई आस