लोग कहते हैं बहुत हम ने कमाई दुनिया आज तक मेरी समझ में नहीं आई दुनिया जब नज़र नामा-ए-आमाल के दफ़्तर पे पड़ी नेकियों पर मुझे उभरी नज़र आई दुनिया ज़ाहिरी आँखों से देखो तो दिखाई दे पहाड़ बातिनी आँखों से देखो तो है राई दुनिया ये क़दम तेरे तआ'क़ुब में चले हैं कितना ये बताएगी मिरी आबला-पाई दुनिया जितने दुख-दर्द तहाइफ़ में दिए है तू ने ले के आएगी अज़ल सब की दवाई दुनिया 'फ़ैज़' जो फिरती है ख़ुद ख़ाना-ब-दोशों की तरह क्या करेगी वो मेरी राह-नुमाई दुनिया