मिली दिल की अपने ख़बर सनम तुझे दिल में जब से बसा लिया तिरी चाह अपनी तलाश थी तुझे पा के ख़ुद को है पा लिया ये हुनर है मेरी निगाह का तो तुफ़ैल तेरी निगाह का तुझे मैं ने अपना बना लिया मुझे तू ने अपना बना लिया थी हयात बार-ए-गराँ सनम मिले दम-ब-दम मुझे ग़म ही ग़म तिरे साथ का था बस आसरा जो ये बार मैं ने उठा लिया सौ मुसीबतों से घिरा हुआ मैं ज़मीन पर था गिरा हुआ तू उतर के अर्श से आ गई मुझे हाथ दे के उठा लिया मैं तो एक ज़र्द सा फूल था जो शजर पे बार-ए-फ़ुज़ूल था ज़हे तेरी ज़र्रा-नवाज़ियाँ जो गले से मुझ को लगा लिया