मिरे सुकून मिरी हर ख़ुशी को ले डूबा तिरा फ़रेब मिरी ज़िंदगी को ले डूबा चराग़-ए-राह से कुछ रौशनी मयस्सर थी हवा का ज़ोर उसी रौशनी को ले डूबा तिरे विसाल में रौनक़ थी मेरे चेहरे पर तिरा फ़िराक़ मिरी ताज़गी को ले डूबा बदलने वाली थी तक़दीर मेरा मुस्तक़बिल मिरा जुनून मिरी बेहतरी को ले डूबा तरक़्क़ियों को तसलसुल है इंकिसारी में ग़ुरूर आया कि बस आदमी को ले डूबा लबों ने सब्र तहम्मुल को खा लिया 'मश्कूर' सितम तुम्हारा मिरी ख़ामोशी को ले डूबा