सब को देखा सब को परखा कोई नहीं तुम जो हो जैसे हो ऐसा कोई नहीं बे-वजह किस उलझन में पड़ जाते हो तुम अच्छे हो तुम से अच्छा कोई नहीं जब तक तुम थे घर में कैसी रौनक़ थी बरसों बीते आता जाता कोई नहीं कहने को ये भी वो भी सब अपने हैं मर जाऊँ तो रोने वाला कोई नहीं सब से रिश्ता जोड़ के मैं ने देख लिया तेरे अलावा सच है मेरा कोई नहीं बे-शक हम सब अल्लह ही के बंदे हैं लेकिन हम में अल्लह वाला कोई नहीं क्या क्या रूप बदल कर धोका देती है दुनिया जिस का अपना चेहरा कोई नहीं कल तक झूटी शोहरत पर जो ज़िंदा थे मिट्टी हो गए जानने वाला कोई नहीं