ताक़त-ए-ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ इतनी बढ़ा सकते हैं हम इंतिहा-ए-यास में भी मुस्कुरा सकते हैं हम अज़्मत-ए-शान-ए-मोहब्बत भी दिखा सकते हैं हम हँसते हँसते जान पर भी खेल जा सकते हैं हम धज्जियाँ ज़ुल्म-ओ-सितम की भी उड़ा सकते हैं हम सब्र-ओ-इस्तिक़्लाल के दरिया बहा सकते हैं हम बाग़बाँ क्यों नाज़ है अपनी बहारों पर तुझे आशियाने में बहारें अपनी ला सकते हैं हम सच तो ये है कि ख़ुदी में ज़िंदगी का राज़ है अपनी क़िस्मत अपने हाथों से बना सकते हैं हम जज़्बा-ए-जोश-ए-जुनून-ए-शौक़ होना चाहिए फिर सुराग़-ए-मंज़िल-ए-हस्ती भी पा सकते हैं हम हम ने पाई है मोहब्बत में मुजस्सम ज़िंदगी मुस्कुरा कर मौत से आँखें मिला सकते हैं हम वाक़िफ़-ए-आदाब-ए-असरार-ए-मोहब्बत है ये दिल वो तो क्या 'मुश्ताक़' दुनिया को झुका सकते हैं हम