तुम को नहीं है याद अभी कल की बात है बाहम था इत्तिहाद अभी कल की बात है मंज़िल थी एक जिस पे बहम गामज़न रहे बिल्कुल न था तज़ाद अभी कल की बात है इक रौशनी थी दिल में बहुत पाक-ओ-साफ़ थे ऐसा न था इनाद अभी कल की बात है बुनियाद ख़ुद ही आप ने रक्खी निफ़ाक़ की शीर-ओ-शकर थे शाद अभी कल की बात है सेहन-ए-चमन में अपने 'नज़र' थी अजब बहार था दौर-ए-अब्र-ओ-बाद अभी कल की बात है