उन की यादों की हसीं परछाइयाँ रह जाएँगी दिल को डसने के लिए तन्हाइयाँ रह जाएँगी हम न होंगे फिर भी बज़्म-आराईयाँ रह जाएँगी अपनी शोहरत के लिए रुस्वाइयाँ रह जाएँगी हम ख़ला की वुसअ'तों में इस तरह खो जाएँगे दूर तक बिखरी हुई तन्हाइयाँ रह जाएँगी मिट न पाएँगे किसी सूरत भी माज़ी के नुक़ूश दिल की दीवारों पे कुछ परछाइयाँ रह जाएँगी हम मुसाफ़िर हैं निकल जाएँगे हर बस्ती से दूर और हम को ढूँढती पुरवाइयाँ रह जाएँगी फूल से ख़ुश्बू की सूरत हम जुदा हो जाएँगे ये बहारें ये चमन-आराईयाँ रह जाएँगी मिस्ल-ए-नग़्मा हम फ़ज़ा में जज़्ब हो जाएँगे 'अर्श' गुनगुनाती गूँजती शहनाइयाँ रह जाएँगी