वो हम-कनार है जाम-ए-शराब हाथ में है बग़ल में चाँद है और आफ़्ताब हाथ में है पिला के पीर को साग़र जवाँ बनाता है मज़ा है पीर-ए-मुग़ाँ के शबाब हाथ में है बर आई आज मिरे दिल की आरज़ू सद शुक्र कि दामन आप का रोज़-ए-हिसाब हाथ में है ये आए किस के क़दम दस्त-ए-मौज से दरिया लिए हुए जो कुलाह हबाब हाथ में है अरक़ विसाल में पोंछा है गुल से गालों को यही है वज्ह कि बू-ए-गुलाब हाथ में है बिन आई है मिरे दस्त-ए-हवस की वस्ल की शब हिना लगाए जो वो मस्त-ए-ख़्वाब हाथ में है हवा से तेज़ वो आता है नामा-बर मेरा नियाज़-नामे का मेरे जवाब हाथ में है खिले हैं गुल गुल आरिज़ के वस्फ़ में सर-ए-दस्त क़लम मिरा है कि शाख़-ए-गुलाब हाथ में है 'हफ़ीज़' आप का दीवान ये हुआ मक़्बूल कि जिस को देखो लिए ये किताब हाथ में है