वो दोस्त है और बुरा नहीं है बस मेरे मिज़ाज का नहीं है दिल मेरा भी कब था ऐसा सादा वो आँख भी बे-ख़ता नहीं है उस शख़्स ने फेर ली हों आँखें ऐसा तो कभी हुआ नहीं है इक बार मोहब्बतों का बादल बरसा है तो फिर रुका नहीं है ये जाँ से गुज़रती साअ'तें हैं ये दर्द का मरहला नहीं है कुछ ज़ख़्म वहाँ लगे हैं लेकिन वो शहर तो बेवफ़ा नहीं है जो मेरी तलाश में है अब तक मैं हूँ कोई दूसरा नहीं है इस अहद की है ये इक ज़रूरत हिजरत कोई सानेहा नहीं है