वो दूर हो गई अब तक जो मेरे पास में थी वो जिस के जिस्म की ख़ुशबू मिरे लिबास में थी लिपट गई मिरे सीने से घर में आते ही वो मीठे ज़हर की नागिन जो मेरी आस में थी मिरी रगों में उतर कर फ़साद करने लगी वही शराब जो अब तक मिरे गिलास में थी न जाने किस लिए अब रोज़ याद आती है वो एक लड़की जो पढ़ती मिरे क्लास में थी जो कल तलक बड़ा डरती थी काकरोचों से वो आज छिपकली पकड़े हुए पिलास में थी