ये ज़मीं ख़्वाब है आसमाँ ख़्वाब है इक मकाँ ही नहीं ला-मकाँ ख़्वाब है जान-लेवा सही जुस्तुजू की थकन पर सहारा दिए इक जवाँ ख़्वाब है उस की आँखों में अपनाइयत की चमक मेरी आँखों का इक बे-अमाँ ख़्वाब है टूट जाए तो कुछ भी नहीं कोई भी जिस के दम से हैं दोनों जहाँ ख़्वाब है चिलचिलाती हुई वक़्त की धूप में साथ इक साया-ए-मेहरबाँ ख़्वाब है तू सराब-ए-हसीं मैं फ़रेब-ए-नज़र प्यार तेरा मिरी जान-ए-जाँ ख़्वाब है शादी-ए-बे-पनह का सबब है मगर वज्ह-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ भी मियाँ ख़्वाब है ज़िंदगी के कठिन जंगलों में मिरा हर क़दम राहबर पासबाँ ख़्वाब है जान-ए-'शहज़ाद' तन्हाइयाँ हैं अटल और बाक़ी का ये कारवाँ ख़्वाब है