ये जो है हुक्म मिरे पास न आए कोई इस लिए रूठ रहे हैं कि मनाए कोई ताक में है निगह-ए-शौक़ ख़ुदा ख़ैर करे सामने से मिरे बचता हुआ जाए कोई वादा-ए-वस्ल उसे जान के ख़ुश हो जाऊँ वक़्त-ए-रुख़्सत भी अगर हाथ मिलाए कोई सर्द-मेहरी से ज़माने की हुआ है दिल सर्द रख कर इस चीज़ को क्या आग लगाए कोई आप ने 'दाग़' को मुँह भी न लगाया अफ़्सोस उस को रखता था कलेजे से लगाए कोई