ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें ज़िंदगी दो दिन की है दो दिन में हम क्या क्या करें दूसरों से कब तलक हम प्यास का शिकवा करें लाओ तेशा एक दरिया दूसरा पैदा करें हुस्न ख़ुद आए तवाफ़-ए-इश्क़ करने के लिए इश्क़ वाले ज़िंदगी में हुस्न तो पैदा करें चढ़ के सूली पर ख़रीदेंगे ख़रीदार आप को आप अपने हुस्न का बाज़ार तो ऊँचा करें जी में आता है कि दें पर्दे से पर्दे का जवाब हम से वो पर्दा करें दुनिया से हम पर्दा करें सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गए हैं शहर में आप जल्दी बंद अपने घर का दरवाज़ा करें कीजिएगा रहज़नी कब तक ब-नाम-ए-रहबरी अब से बेहतर आप कोई दूसरा धंदा करें इस पुरानी बेवफ़ा दुनिया का रोना कब तलक आइए मिल-जुल के इक दुनिया नई पैदा करें दिल हमें तड़पाए तो कैसे न हम तड़पें 'नज़ीर' दूसरे के बस में रह कर अपनी वाली क्या करें