यूँ सिसकता मुझे तुम छोड़ न जाओ आओ आख़िरी वक़्त है ऐ जान-ए-मन आओ आओ सोहबत-ए-लुत्फ़ में लो नाम न ग़ैरों का कभी दिल में आशिक़ के न तुम आग लगाओ आओ बे-बने ही बहुतों को है बिगाड़ा इस ने अपनी काकुल को बहुत अब न बनाओ आओ पी भी लो रहने दो कौसर की कहानी ज़ाहिद ऐसी बे-पर की न यारों से उड़ाओ आओ 'कैफ़ी' छोड़ो भी कहीं कू-ए-बुताँ की ये धुन चैन आराम दिल-ओ-दीं न गँवाओ आओ