हरिचंद अख़्तर एक दिन जोश साहिब से मिलने गये तो जाते ही पूछा, “जनाब आपके मिज़ाज कैसे हैं?” जोश साहिब ने फ़रमाया, “पंडित जी, आप तो ग़लत उर्दू बोलते हैं। आपने ये कैसे कह दिया कि आपके मिज़ाज कैसे हैं। जबकि मेरा तो सिर्फ़ एक ही मिज़ाज है, न कि बहुत से मिज़ाज।” कुछ दिन के बाद अख़्तर की फिर जोश से मुलाक़ात हुई तो जोश साहिब ने फ़रमाया कि अभी-अभी जगन्नाथ आज़ाद के वालिद तशरीफ़ लाए थे। इस पर अख़तर साहिब ने फ़रमाया कि कितने?