अनवर साबरी लायलपुर के मुशायरे में कलाम पढ़ने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कहा कि मेरी तबीयत ख़राब है, इसलिए में आज सिर्फ़ पाँच शे’र ही सुनाऊँगा। हरिचंद अख़्तर ने जो मुशायरे की निज़ामत कर रहे थे फ़रमाया: “हज़रत, ये तो ऐसे लगेगा जैसे ऊंट मेंग्नीं दे रहा हो।” (अनवर साबरी देवक़ामत शक्ल-ओ-शबाहत रखते थे)