हर रोज़ मैं ये करता हूँ दुआ ऐ मेरे ख़ुदा ऐ मेरे ख़ुदा नफ़रत के अँधेरे मिट जाएँ बस प्रेम उजाले मुस्काएँ छट जाएँ ग़मों के सब बादल लहराए जो ख़ुशियों का आँचल कुछ फ़िक्र न हो कुछ झूट न हो दुनिया में कहीं पर लूट न हो हर शहर हमारा गुलशन हो हँसता हुआ हर इक आँगन हो हर घर में बच्चे धूम करें तस्वीर-ए-ख़ुशी में रंग भरें हर आँख में हो उल्फ़त की चमक हर जिस्म में हो उल्फ़त की महक दुनिया में कहीं पर जंग न हो इंसाँ पे ज़मीं ये तंग न हो बस अम्न का सूरज मुस्काए हर सम्त उजाला फैलाए