साँसों का वो पहला लम्हा ख़्वाबों की वो पहली साअ'त नर्म हवा ने जब मेरा एहसास छुआ था ख़ुशबू ने जब लब खोले थे कर्ब-ए-बसीरत ने मेरे अंदर झाँका था हर्फ़-ए-सदाक़त ने मुझ से सरगोशी की थी ये सारी दुनिया मेरी है आग हवा मिट्टी और पानी सब पर मेरा नाम लिखा है ऊँचा पर्बत खुला आसमाँ फैली धरती दरिया जंगल सहरा वादी रोने हँसने की आज़ादी सब मेरे हैं सूरज चाँद सितारे मेरे तूफ़ाँ और किनारे मेरे रिश्तों के सब साए मेरे अपने और पराए मेरे ख़ुशबू मेरी रंगत मेरी नफ़रत और मोहब्बत मेरी सारे दिन सब रातें मेरी मौसम की सौग़ातें मेरी आहें मेरी आँसू मेरे जीने के सब पहलू मेरे दुनिया मेरी दुनिया की हर इक शय मेरी लेकिन मेरा वो मैं जिस ने ख़ुद मुझ को वुसअ'त बख़्शी है क्या है कैसा है कितना है मेरा कब है इसी लिए लगता है मुझ को दुनिया की इस भीड़ में शायद मैं तन्हा हूँ