आओ कुछ देर तो बैठ कर रिश्ता-ए-लफ़्ज़-ओ-मा'नी की तज्दीद हो इस जुनूँ-ख़ेज़ पानी के तूफ़ान में जाने कश्ती सलामत रहे न रहे हम रहें न रहें तुम रहो न रहो काले काग़ज़ की तहरीर रहने भी दो लो ये क़िर्तास-ए-अब्यज़ है इस को पढ़ो हम गए चाँद पर उस का क़िस्सा सुनो साग़र-ए-माह में फूल पीने की बातें करो लाल पीली शुआ'ओं पे हो तब्सिरा सीना-ए-अर्ज़ से माह-पारे निकाला करो काले काग़ज़ की तहरीर रहने भी दो आओ कुछ देर तो बैठ कर रिश्ता-ए-लफ़्ज़-ओ-मा'नी की तज्दीद हो