तमाम-उम्र दिल-ए-ख़ुद-निगर की नज़्र हुई अधूरे ख़्वाब हैं दामन में तिश्ना-लब बातें गुलू-गिरफ़्ता गले बे-असर मुनाजातें जो घुट के मर गईं सीने में वो मुलाक़ातें जो करवटों में कटीं वो गुनाह की रातें बा-शौक़-क़द्र कहीं जिन की क़द्र हो न सकी वो अरमुग़ान-ए-नवा वो सुख़न की सौग़ातें ब-नाम-ए-हुस्न वो चिट्ठी जो डर की नज़्र हुई ज़माने की निगह-ए-कज-नज़र की नज़्र हुई तमाम-उम्र दिल-ए-पुर-हज़र की नज़्र हुई ब-कार गुज़री है जाने कि राएगाँ गुज़री